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मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

आज इस भावना की फिर से जरुरत है


हम है इसके मालिक, हिन्दुस्तान हमारा,
पाक वतन है कौम का, जन्नत से भी प्यारा।
ये है हमारी मिल्कियत, हिन्दुस्तान हमारा,
इसकी रू हानियत से, रौशन है जग सारा;
कितना कदीम कितना नईम, सब दुनिया से न्यारा,
करती है जरखेज जिसे, गंगो-जमन की धारा।
ऊपर बर्फ़ीला पर्वत, पहरेदार हमारा,
नीचे साहिल पर बजता, सागर का नकारा;
इसकी खानें उगल रही, सोना, हीरा, पारा,
इसकी शानो शौकत का, दुनिया में जयकारा।
आया फ़िरंगी दूर से, रेग्सा मन्तर मारा,
लूटा दोनों हाथ से, प्यारा वतन हमारा;
आज शहीदों ने है तुमको, अहले वतन ललकारा,
तोड़ो गुलामी की जंजीरें, बरसाओ अंगारा।
हिन्दू, मुसलमां, सिख हमारा भाई-भाई प्यारा,
ये है आजादी का झन्डा, इसे सलाम हमारा।