यह ब्लॉग खोजें
रविवार, 28 अगस्त 2011
तृतीय विश्व युद्ध का खतरा?
अमेरिका ने अपने दो युद्ध पोत लीबिया के लिए पहले ही रवाना कर दिए हैं, जो लीबिया के नजदीक पहुंच रहे हैं। अमेरिका और ब्रिटेन कह चुके हैं कि वे लीबिया को नो फ्लाइंग जोन घोषित करना चाहते हैं। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र को निर्णय लेना है। नो प्लाइंग जोन घोषित होने की स्थिति में गद्दाफी समर्थक सेना नागरिकों पर हवाई हमले नहीं कर पाएंगे और ऐसे हमले कर रहे किसी भी विमान को मार गिराया जाएगा। लेकिन आशंका है कि रूस नो फ्लाइंग जोन के प्रस्ताव का विरोध करेगा। रूस का मानना है कि जबतक गद्दाफी जनता पर हवाई हमले नहीं करते, इस तरह का प्रतिबंध पूरी तरह गलत है।
संयुक्त राष्ट्र में भी क्यूबा, निकारागुआ और वेनेजुएला ने लीबिया को मानवाधिकार परिषद से हटाने के पक्ष में वोट नहीं दिया और वे भी लीबिया पर सैन्य कार्रवाई के विरोध में हैं। अमेरिका विरोधी देश इस मुद्दे पर एकजुट हो रहे हैं।
शुक्रवार, 26 अगस्त 2011
चीन ने भारत की सीमा पर ऐटमी मिसाइलें तैनात कीं
चीनड्रैगन की सैन्य साज-ओ-सामान की सीमा पर तैनाती का सिलसिला जारी है। भारत से लगी सीमा पर चीन ने सीएसएस-5 मीडियम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल की तैनाती भी कर दी है। अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन की ताज़ा रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद की वजह से भरोसे की बहुत कमी है। रिपोर्ट के मुताबिक यही वजह है कि चीन भारत से सटी सीमा पर अपने सैन्य ढांचे का तेजी से विकास कर रहा है जिसका भविष्य में सैन्य अभियानों में इस्तेमाल किया जा सके।
रिपोर्ट में कहा गया है, 'शक-शुबह और भरोसे की कमी की वजह से दोनों देशों के बीच रिश्ते में तनाव रहता है। भारत पर सैन्य नजरिए से दबाव बनाने के लिए पाकिस्तान लिबरेशन आर्मी ने परमाणु क्षमता वाली सीएसएस-2 आईआरबीएम मिसाइलें बड़े पैमाने पर तैनात कर दी हैं।' पेंटागन की यह रिपोर्ट अमेरिकी संसद के सामने पेश की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत से लगी सीमा पर सड़कों के निर्माण का उद्देश्य पश्चिमी चीन की आर्थिक तरक्की है। लेकिन अच्छी सड़कें पीएलए को सीमा पर अपने सैन्य अभियानों में भी मदद मिलेगी।
चीन के पाकिस्तान के साथ नजदीकी सैन्य संबंधों के अलावा हिंद महासागर, मध्य एशिया और अफ्रीका में चीन की लगातार बढ़ती मौजूदगी से भारत चिंतित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के हथियारों को खरीदने वाला प्रमुख देश पाकिस्तान है। इसके मुताबिक पाकिस्तान ने हाल ही में एफ 7 और जेएफ 17फाइटर एंटी शिप मिसाइलें, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, हेलीकॉप्टर, चेतावनी प्रणाली चीन से हासिल की है।
गौरतलब है कि लेह-लद्दाख में सीमा के पास ही चीन बड़े पैमाने सड़कें वगैरह बना रहा है। चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का ही हिस्सा मानता है। भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा को लेकर विवाद रहा है। चीन ने कुछ दिनों पहले ही वारयाग नाम के लड़ाकू जहाज को समुद्र में तैनात कर दिया है। हालांकि, चीन की यह दलील है कि वह वारयाग का इस्तेमाल सिर्फ ट्रेनिंग और प्रयोगों के लिए करेगा। चीन ने श्रीलंका और बांग्लादेश में बंदरगाह भी बनाए हैं।
बुधवार, 24 अगस्त 2011
क्या हम आज़ाद है ??????????????/
* सन 1971 तक भारत के राष्ट्रपति भवन पर तिरंगा झण्डा ना होकर ब्रिटिश सरकार द्वारा दिया यूनियन जेक झण्डा लगा हुआ था । क्यों?
* यदि १५ अगस्त 1947 को भारत आज़ाद हुआ था तो 22 जून 1948 तक के लिए भारत का प्रथम गर्वनल जनरल माउण्टबेटन को बनाया गया। क्यों?
* सत्ता हस्तांतरण के साथ नेताजी सुभाष चन्द्र बॉस व स्थापित आजाज हिन्द फौज के सेनिकों पर व भारतीय जनता पर क्या पाबंदी ओर प्रतिबंध है ?
* खंडित भारतीय संविधान के अनुछेद 366, 372, 392, 395 को बदलने की या रद्द करने की क्षमता भारत सरकार को नहीं है क्यों?
* ब्रिटिश नेशनलिटी एक्ट 1948 में बने ब्रिटानिया कानून के तहत भाग (1) 1 के अनुसार हर भारतीय ब्रतानिया की प्रजा है ओर यह कानून भारत के अनुसार गणराज्य प्राप्त करने के पश्चात भी लागू है। ऐसा क्यों है ?
लन्दन में है तख्तो ताज, याद करो इस बात को आज।
जहाँ है देश का तख्तो ताज, वहीँ है देश का छठा जार्ज।
ये आज़ादी है बेकार, सब धोखा ही धोखा है मेरे यार ॥
प्रश्न ये है कि लार्ड माउन्टबेटेंन, मो० अली जिन्ना और पंडित जंवाहर लाल नेहरु के बीच वार्ता होने पर जो समझौता हुआ था वो आज तक जनता के सामने क्यों नहीं आया ?
कोई भी समझौता किसी भी प्रकार का क्यों ना हो , हर समझौते में निम्न तीन बातें अवस्य होती है :-
१- यह कि समझौता किन शर्तो के आधार पर हुआ है ?
२- यह कि समझौता कितने वर्षो के लिए हुआ है ? उसकी समयावधि क्या है ?
३- समझौता सार्वजानिक है या गोपनीय है ?
यदि ये समझौता सार्वजानिक था तो आज तक प्रकाशित या जनता की जानकारी में क्यों नहीं लाया गया ?
लेकिन लगता है ये समझौता गोपनीय था ....... लेकिन फिर भी इसकी समयावधि तो होगी ??? (१९९९ तक थी )
और इसकी गोपनीयता बनाये रखने की शपथ हर नेता को दिलाई जाती रही है ॥
इसकी एक बानगी देखिये :-
२२ जून, १९४८ को भारत के दूसरे गर्वनल जनरल के रूप में चक्रवरती राजगोपालचर्या ने निम्न शपथ ली कि
"मैं चक्रवर्ती राजगोपालचर्या यथाविधि यह शपथ लेता हूँ कि मैं सम्राट जार्ज षष्ट और उनके वंशधर ओर उत्तराधिकारी के प्रति कानून के मुताबिक विश्वास के साथ वफादारी निभाऊंगा एव मैं चक्रवर्ती राजगोपालचर्य यह शपथ लेता हूँ कि मैं गर्वनल जनरल के पद पर रहते हुए सम्राट जार्ज षष्ट और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी की यथावत सेवा करूंगा। "
उक्त भाषा गुलामी की प्रतीक है। ऐसा क्यों है ?
इन कुछ तथ्यो से यह सपष्ट होता है कि हम पूर्ण रूप से आजाद नहीं है , ब्रिटिश सरकार के साथ किए गए समझौते के तहत आंशिक रूप से आजाद है ।
अत: प्रत्येक नागरिक को इन तथ्यो पर गंभीरता एवं निष्पक्षता से विचार करना चाहिए।
मंगलवार, 9 अगस्त 2011
पहली बार राजस्थान के पास पहुंची चीनी सेना, पाकिस्तान को सिखा रही लड़ाई के गुर
युद्ध अभ्यास शुरू हुए एक सप्ताह हो चुका है। एक महीने के इस युद्ध अभ्यास के बारे में जानकार बताते हैं कि ऐसा पहली बार हुआ है कि चीन की सेना पश्चिम में भारतीय सीमा के पास सक्रिय देखी गई है।
खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक चीन की ओर से पाकिस्तान को हर तरह की सैन्य मदद मिल रही है। वह पाकिस्तान को भारत के पश्चिमी क्षेत्र से सटे इलाकों में ताकत बढ़ाने के लिए टैंक अपग्रेड टेक्नोलॉजी और मानवरहित विमान (यूएवी) भी मुहैया करा रहा है।
ताजा साझा युद्ध अभ्यास के बारे में जानकारी होने से भारतीय सेना इनकार कर रही है। आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि पाकिस्तान रेंजर्स सालाना अभ्यास करती है, लेकिन अभी इस तरह का कोई युद्ध अभ्यास चलने के बारे में खबर नहीं है। पर खुफयिा सूत्र बताते हैं कि पीएलए पाकिस्तानी सैनिकों को यह सिखा रही है कि दुर्गम क्षेत्रों से टैंक और दूसरे भारी सैन्य वाहनों को कैसे लाया-ले जाया जा सकता है। और यह भी कि सेना को रास्ता देने के लिए पुल कैसे बनाया जाए। यह अभ्यास पाकिस्तान के रहिमियार खान इलाके के सेम नाला में चल रहा है। इस जगह की सीमा जैसलमेर के टनोट-किशनगढ़ इलाके से लगती है। अभ्यास में भाग लेने के लिए चीन की पूरी ब्रिगेड मौजूद है।
शुक्रवार, 5 अगस्त 2011
क्या हम इतने धीरे है ?
और इसका प्रचार प्रसार करें
क्यों कि हम इस देश की जनता है और जनता का हक़ है सही गलत का फैसला लेने का
हम लोगो ने ही इन नेताओं के हाथो में देश की बागडोर दी है
क्या इस लिए कि ये हमे ही अन्धेरें में रखें?
क्या इस लिए कि ये हमे ही लूटते रहें ?
क्या इस लिए कि हमारे देश कि संस्कृति के साथ ये खिलवाड़ करते रहें ?
समय आ गया है
आमने सामने की लड़ाई का
समय है एक और क्रांति का
सही मायनों में आज़ाद होने का
और हम
ये आज़ादी ले कर रहेंगे
बुधवार, 3 अगस्त 2011
समझोते को सार्वजनिक करें
लेकिन अब कोई प्रतिबन्ध नहीं है
और जब कोई प्रतिबन्ध नहीं है
तो फिर इसको सार्वजानिक करने से कोई भी सरकार कतरा क्यू रही है
ये सब बदलना आवश्यक है परन्तु हमें सरकार नहीं व्यवस्था में परिवर्तन करना होगा हमें ही सड़कों पर उतरना होगा और इस व्यवस्था को जड़ मूल से समाप्त करना होगा | भगवान भी उसी की सहायता करते हैं जो अपनी सहायता स्वयं करता है |
अंग्रेजों का वेस्टमिन्स्टरसिस्टम
कलकत्ता में गाय काटने का कत्लखाना
राशन कार्ड का सिस्टम
वार्षिक बजट संध्या को 5:00 बजे
विदेशी कंपनियां भारत में रहेंगी
अंग्रेजी का स्थान अंग्रेजों के जाने के बाद वैसेही रहेगा भारत में जैसा क़ि अभी (1946 में) है और ये भी इसी संधि का भाग है. आपदेखिये क़ि हमारे देश में, संसद में, न्यायपालिका में, कार्यालयों में हर कहींअंग्रेजी, अंग्रेजी और अंग्रेजी है जब क़ि इस देश में 99% लोगों को अंग्रेजी नहींआती हैतथा उन 1% लोगों को देखो क़ि उन्हें मालूम ही नहींरहता है क़ि उनको पढना क्या है और uno में जा कर भारत के स्थान पर पुर्तगाल का भाषणपढ़ जाते हैं |
अंग्रेजों का ही अनुसरण
गुरुकुल संस्कृति को कोई प्रोत्साहन नहीं
आयुर्वेद को कोई सहयोग नहीं
अन्थ्रोपोलोग्य
करती हूँ तो भारत में पूछा जायेगा क़ि तुम्हारे पास कौन सी डिग्री है ? यदि नहीं है तोमेरे अविष्कार और ज्ञान का कोई महत्व नहीं है. इसके विपरीत उनके यहाँ ऐसा कदापिनहीं है आप यदि कोई अविष्कार करते हैं और आपके पास ज्ञान है परन्तु कोई डिग्री नहींहैं तो कोई बात नहीं आपको प्रोत्साहित किया जायेगा. नोबेल पुरस्कार पाने के लिएआपको डिग्री की आवश्यकता नहीं होती है. हमारे शिक्षा तंत्र को अंग्रेजों ने डिग्रीमें बांध दिया था जो आज भी वैसे के वैसा ही चल रहा है. ये जो 30 नंबर का पासमार्क्स आप देखते हैं वो उसी शिक्षा व्यवस्था की देन है, अर्थात आप भले ही 70 नंबरमें फेल है परन्तु 30 नंबर लाये है तो पास हैं, ऐसे शिक्षा तंत्र से क्या उत्पन्न हो रहे हैं वो सब आपके सामने ही है और यही अंग्रेज चाहते थे. आप देखते होंगे क़ि हमारे देश में एक विषय चलता है जिसका नाम है अन्थ्रोपोलोग्य.| जानते है इसमें क्यापढाया जाता है ? इसमें दास लोगों क़ि मानसिक अवस्था के बारे में पढाया जाता है और ये अंग्रेजों ने ही इस देश में प्रारंभ किया था और आज स्वतंत्रता के 64 वर्षों केपश्चात भी ये इस देश के विश्वविद्यालयों में पढाया जाता है और यहाँ तक क़ि सिविलसर्विस की परीक्षा में भी ये चलता है
अंग्रेजों द्वारा बनाये गए भवन जैसे के तैसे रखे जायेंगे
नियम चाहे वो किसी क्षेत्र में हो परिवर्तित नहीं
"व्हीलर बुक स्टोर"
भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकुल्लाह, रामप्रसाद विस्मिल जैसे लोग आतंकवादी थे
सुभाष चन्द्र बोस को जीवित अथवा मृत अंग्रेजों केहवाले करना
भारत की संसद में वन्दे मातरम नहीं गाया जायेगा
भारत का नाम INDIA रहेगा
भारतीय स्वतन्त्रता कानून 1947 Indian Independence Act 1947
The Indian Independence Act 1947 was the statute (10 and 11 Geo VI, c. 30) enacted by the Parliament of the United Kingdom promulgating the partition of India and the independence of the dominions of Pakistan and India. The Act received royal assent on 18 July 1947.
The legislation was formulated by the government of Prime Minister Clement Attlee, after representatives of the Indian National Congress,[1] the Muslim League,[2] and the Sikh community[3] came to an agreement with the Viceroy of India, Lord Mountbatten of Burma, on what has come to be known as the 3 June Plan or Mountbatten Plan.
Passed on 15 June 1947, the Act stipulated that:
* Two independent dominions, India and Pakistan shall be set up in India .
* The dominions would be set up on a fixed date: the fifteenth of August 1947.
* The responsibility as well as suzerainty of the government of the United Kingdom shall cease on fifteenth of August 1947.
* That all Indian princely states shall be released from their official commitments and treaty relationships with the British Empire, and will be free to join either dominion.
*Both Dominions will be completely self-governing in their internal affairs, foreign affairs and national security, but the British monarch will continue to be their head of state, represented by the Governor-General of India and a new Governor-General of Pakistan. Both Dominions shall convene their Constituent Assemblies and write their respective constitutions.
* Both Dominions will be members of the British Commonwealth, but free to leave whenever they please.
* The British monarch shall be permitted to remove the title of Emperor of India from the Royal Style and Titles. King George VI subsequently removed the title by Order in council on 22 June 1948.
हम आज भी अंग्रेजों के अधीन ही हैं
Dominion States
ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट
समझोते को सार्वजनिक करें
लेकिन अब कोई प्रतिबन्ध नहीं है
और जब कोई प्रतिबन्ध नहीं है
तो फिर इसको सार्वजानिक करने से कोई भी सरकार कतरा क्यू रही है
मंगलवार, 2 अगस्त 2011
क्या हम सही में आज़ाद है ????
लेकिन क्या कभी हमने जानने की कोशिश करी है कि 14 अगस्त 1947 की मध्य रात्री को क्या समझोता हुआ था ?
क्या इस कथित आज़ादी के इतने वर्षो में किसी भी भारतीय सरकार ने इस समझोते को सार्वजनिक किया है ???
नहीं ना ?
तो दोस्तो अब समय आ गया है कि हम भारत सरकार से अपील करें कि इस समझोते की सभी शर्तें ओर दस्तावेज़ सार्वजनिक किए जाये
ताकि हम सब लोगो को पता चले कि किन शर्तो ओर समझोतो के तहत हम आज़ाद कहलाते है ???