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रविवार, 28 अगस्त 2011

तृतीय विश्‍व युद्ध का खतरा?

लीबिया का संकट धीरे धीरे विश्व युद्ध में भी बदलने के आसार दिखा दे रहे हैं। लीबिया के मुद्दे पर देश अब दो धड़ों में बंट रहे हैं। अमेरिका के विरोधी देश, धीरे धीरे या तो गद्दाफी के पक्ष में हैं या फिर वे चुप हैं। ईरान ने खुलकर धमकी दी है कि यदि नाटो सेनाओं ने लीबिया पर सैन्य कार्रवाई की तो वहां उसके सैनिकों की कब्रगाह बन जाएगी। ईरान के राष्ट्रपति मुहम्मद अहमजनेजाद ने धमकी दी कि यदि अमेरिका और उसके मित्र देशों ने उत्तरी अफ्रीका या फिर मध्य पूर्वी देशों में किसी पर भी हमला बोलने की कोशिश की, तो उन्हें करारा जवाब मिलेगा।
अमेरिका ने अपने दो युद्ध पोत लीबिया के लिए पहले ही रवाना कर दिए हैं, जो लीबिया के नजदीक पहुंच रहे हैं। अमेरिका और ब्रिटेन कह चुके हैं कि वे लीबिया को नो फ्लाइंग जोन घोषित करना चाहते हैं। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र को निर्णय लेना है। नो प्लाइंग जोन घोषित होने की स्थिति में गद्दाफी समर्थक सेना नागरिकों पर हवाई हमले नहीं कर पाएंगे और ऐसे हमले कर रहे किसी भी विमान को मार गिराया जाएगा। लेकिन आशंका है कि रूस नो फ्लाइंग जोन के प्रस्ताव का विरोध करेगा। रूस का मानना है कि जबतक गद्दाफी जनता पर हवाई हमले नहीं करते, इस तरह का प्रतिबंध पूरी तरह गलत है।
संयुक्त राष्ट्र में भी क्यूबा, निकारागुआ और वेनेजुएला ने लीबिया को मानवाधिकार परिषद से हटाने के पक्ष में वोट नहीं दिया और वे भी लीबिया पर सैन्य कार्रवाई के विरोध में हैं। अमेरिका विरोधी देश इस मुद्दे पर एकजुट हो रहे हैं।

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