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बुधवार, 3 अगस्त 2011

आयुर्वेद को कोई सहयोग नहीं

इस संधि की शर्तों के अनुसार हमारेदेश में आयुर्वेद को कोई सहयोग नहीं दिया जायेगा अर्थात हमारे देश की विद्या हमारेही देश में समाप्त हो जाये ये षडंत्र किया गया. आयुर्वेद को अंग्रेजों ने नष्ट करनेका भरसक प्रयास किया था परन्तु ऐसा कर नहीं पाए. संसार में जितने भी पैथी हैं उनमेये होता है क़ि पहले आप रोगग्रस्त हों तो आपका इलाज होगा परन्तु आयुर्वेद एक ऐसीविद्या है जिसमे कहा जाता है क़ि आप रोगग्रस्त ही मत पड़िए | आपको मैं एक सच्चीघटना बताता हूँ, जोर्ज वाशिंगटन जो क़ि अमेरिका का पहला राष्ट्रपति था वो दिसम्बर 1799 में रोग शैय्या पर पड़ा और जब उसका बुखार ठीक नहीं हो रहा था तो उसके डाक्टरोंने कहा क़ि इनके शरीर का रक्त दूषित हो गया है जब इसको निकाला जायेगा तो ये बुखारठीक होगा और उसके दोनों हाथों क़ि नसें डाक्टरों ने काट दी और रक्त निकल जाने केकारण से जोर्ज वाशिंगटन का देहांत हो गया. ये घटना 1799 की है और 1780 में एकअंग्रेज भारत आया था और यहाँ से प्लास्टिक सर्जरी सीख कर गया था अर्थात कहने आशय येहै क़ि हमारे देश का चिकित्सा विज्ञान कितना विकसित था उस समय और ये सब आयुर्वेद केकारण से था और उसी आयुर्वेद को आज हमारी सरकार ने हाशिये पर पंहुचा दिया है |

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