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रविवार, 10 जून 2012

गोऊ हत्या पर प्रतिबन्ध क्यों नहीं ? क्यों बंद नहीं होता गोऊ मांस का निर्यात बंद ?


दोस्तों ये एक कडवी सच्चाई आप के सामने पेश कर रहा हूँ .. .. 
जैसा कि आप सब जानते है अंग्रेजो द्वारा भारत को सत्ता हस्तांतरित करते वक्त कुछ शर्ते थोपी गयी थी और उन शर्तो को 
हमारे सत्ता लोलुप नेताओ ने मान कर हस्ताक्षर कर  दिए थे !
और आप ये भी जानते है कि इन शर्तो की गोपनीयता १९९९ तक अक्षुण रखने की बात भी हुई थी और अब वर्तमान में ये प्रतिबन्ध २०२१ तक के लिए बढ़ा दिया गया है !
दोस्तों! जब भी कोई द्विपक्षीय समझौता होता है तो समझौते की शर्तो का किसी भी प्रकार से उलंघन नहीं किया जा सकता और खास कर के जब समझोता मालिक और गुलाम के बीच हो तो गुलाम द्वारा तो कदापि नही !
तो उन शर्तो में एक शर्त ये भी थी कि ब्रिटेन को एक निश्चत मात्रा में गोऊ मांस का निर्यात जब तक ये समझौता कायम है किया जाता रहेगा और (आपको पता ही होगा जब अंग्रेज भारत में आये तो सबसे पहले कलकत्ता में उन्होंने कत्लखाना शुरू किया था ) इस समझौते का उलंघन गुलाम द्वारा कभी नहीं किया जा सकता !
हाल ही एक रिपोर्ट दर्शाती है कि भारत गोऊ मांस निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश बन गया है ... आश्चार्य है ना ? 
जब पुरे देश से मांग उठा कर अलग अलग संगठन गोऊ मांस और गोऊ हत्या पर प्रतिबन्ध लगाना चाहते है तो क्यों इस कठपुतली सरकार के कान पर पर जूं  नहीं रेंगती ? कारण साफ़ है ....... 
तो जब तक हमें पूर्ण स्वतंत्रता यानी पूर्ण स्वराज्य प्राप्त नहीं होता ........ आप लोग कितना ही जोर लगा ले गोऊ हत्या और गोऊ मांस पर ये प्रतिबन्ध नहीं लगाने वाले 

हम भी इस सरकार से मांग करते है कि " जल्द से जल्द इस समझौते की सभी शर्तो को सार्वजनिक किया जाए" और जो देश हित में नहीं है उनको  तुरंत प्रभाव से हटा दिया जाए ! आगे की आगे देखेंगे  

धन्यवाद! जय हिंद ! 

बुधवार, 6 जून 2012

भारत की गुलामी सिद्ध करने वाले संवेधानिक एवं विधिक तथ्य 2

११- यह कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद १४७ के तहत भारत के समस्त उच्च न्यायलय तथा सर्वोच्च न्यायलय भारतीय संविधान के निर्वचन के लिए ब्रिटिश संसद द्वारा पास किये गए २ अधिनियम को मानने के लिए बाध्य है


१२- यह कि इण्डिया गेट का निर्माण भारत के उन गुमनाम सेनिको की याद में किया गया था जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार के लिए अपनी जान दे दी थी ना कि भारत की रक्षा के लिए ..... इस अंग्रेजी सेना के सैनिको को आज भी हमारे रास्त्रपति और प्रधानमंत्री श्रधान्जली अर्पित करते है तथा भारत की रक्षा में अपनी जान गवां देने वाले वीरो के स्थल अभी भी उपेक्षित और वीरान है 

१३- यह कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा ३७,४७,८१ तथा ८२ के तहत भारत के सभी न्यायलय आज भी ब्रिटिश संसद द्वारा पास किये गए कानूनों तथा ब्रिटेन के न्यायालयों के निर्णय को मानने के लिए बाध्य है 

१४- यह कि साधारण खंड अधिनियम की धारा ३(६) के तहत भारत आज भी ब्रिटिश कब्ज़ाधीन क्षेत्र है 

१५- यह कि राष्ट्रमंडल नियमावली की धारा ८, ९, ३३९, तथा ३६२ के अनुसार भारत ब्रिटिश साम्राज्य का स्थायी राज्य है तथा भारत को अपने आर्थिक निर्णय ब्रिटेन के मापदंडो के अनुसार ही निश्चित करने पड़ते है


दोस्तों इन सब बातो के आलावा और भी बहुत सी बातें है ........ जिनसे प्रमाणित होता है कि पूर्ण स्वराज्य की मांग हमारी आज तक पूरी नहीं हुई है 
हम आज भी आधी अधूरी आजादी को पूर्ण स्वतंत्रता मान कर जी रहे है 

जिस गुप्त समझोते के आधार पर कुछ लालची नेताओ के द्वारा भारत की अधूरी आज़ादी स्वीकार कर ली गयी थी उसकी अवधि सन १९९९ में पूरी हो चुकी थी लेकिन १९९९ में कुछ स्वार्थी नेताओ के द्वारा इस समझोते को २०२१ तक के लिए गुप्त रखने के संधि कर ली गयी 

और इस गुप्त समझोते के विवाद को निपटाने का अधिकार भारत की सर्वोच्च न्यायपालिका को भी भारतीय संविधान के अनुच्छेद १३१ के तहत नहीं है

भारत की गुलामी सिद्ध करने वाले संवेधानिक एवं विधिक तथ्य 1

भारत की गुलामी सिद्ध करने वाले संवेधानिक एवं विधिक तथ्य 

१- ये कि भारत का राष्ट्रपति १५ अगस्त १९७१ तक भारत का राष्ट्रीय ध्वज नहीं लगाता था
२- यह कि ब्रिटेन का १० नवम्बर १९५३ का एक पत्र जिसका क्रमांक F - 21 - 69 / 51 - U .K . है जिस पर अंडर सेकेट्री के. पि. मेनन के हस्ताक्षर है उसमे स्पष्ट रूप से लिखा है कि भारत के गणराज्य हो जाने के बाद भी ब्रिटिश नेशानालिटी एक्ट १९४८ की धारा A ( १ ) के तहत भारत का प्रत्येक नागरिक ब्रिटिश विधि के आधीन ब्रिटेन का विषय है


३- यह कि भारतीय संविधान की अनुसूची ३ के अनुसार भारतीय संविधान की स्थापना विधि (ब्रिटिश) के द्वारा की गयी है ना कि भारत के लोगो द्वारा 

४- भारतीय संविधान की उद्देश्यिका के अनुसार भारतीय संविधान को भारत के लोगो ने इस संविधान को मात्र अंगीकृत, अधिनियमित तथा आत्त्मर्पित किया है .....
इसका निर्माण व् स्थापना नहीं 



५- यह कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद १२ के तहत भारत को एक राज्य कहा गया है राष्ट्र नहीं अतः सिद्ध होता है कि भारत ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन एक राज्य है न कि एक स्वतंत्र राष्ट्र ( इसकी पुष्टि govt . ऑफ़ इण्डिया की वेबसाइट पर भी होती है जहाँ जिसे हम आज तक राष्ट्रीय चिन्ह पढ़ते आये है उसे राजकीय चिन्ह लिखा हुआ है )
http://india.gov.in/knowindia/national_symbols.php?id=9


६- यह कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद १०५(३) तथा १९४(३) के तहत भारत की संसद तथा राज्य की विधान सभाएं ब्रिटिश संसद की कार्य पद्धति के अनुरूप ही कार्य करने के लिए बाध्य है 

७- यह कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद ७३(२) के अनुसार संघ की कार्यपालिका देश की तथाकथित आजादी के बाद उसी प्रकार कार्य करती रहेगी जैसे आजादी से पूर्व गुलामी के समय करती थी 

८- यह कि भारत के संवेधानिक पदों पर आसीन सभी व्यक्ति भारतीय संविधान की अनुसूची ३ के तहत विधि (ब्रिटिश) द्वारा स्थापित भारतीय संविधान के प्रति वफादारी की शपथ लेते है ना कि भारत राष्ट्र या भारत के नागरिको के प्रति वफादारी की


९- यह कि भरिय संविधान के अनुच्छेद १ में भारत को इण्डिया इसलिए कहा गया है कि आज भी ब्रिटेन में भारत को नियंत्रित करने के लिए एक सचिव नियुक्त है जिसे भारत का राष्ट्रमंडलीय सचिव कहा जाता है जो कि भारतीय सरकार के निर्णयों को मार्गदर्शित तथा प्रभावित करता है 

१०- यह कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३७२ के तहत भारत में आज भी ११ हज़ार से भी अधिक वह सभी अधिनियम, विनिमय, आदेश, आध्यादेश, विधि , उपविधि आदि लागू है जो गुलाम भारत में भारतीयों का शोषण करने के लिए अंग्रेजो द्वारा लागु किये गए थे