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रविवार, 17 फ़रवरी 2013

वे कब प्रकट होंगे ?

वो सभी लोग पढ़े जो नेताजी के प्रति ये सोचते है कि उनको छुप कर रहने की क्या जरुरत है ? क्या वो कायर है ? क्या वो किसी से डरते है ? वो कहीं छुपे हुए है तो क्यों? क्या कारण है उसका ?

इसके उत्तर में यही कहा जा सकता है कि कौन सा ऐसा महान क्रान्तिकारी है जो छुप कर न रहा हो ? -------
(१) जरा सोचो रामचंद्र जी को अवतार माना जाता है, फिर उन्होंने छिपकर बाली को बाण क्यों मारा ?
(२) क्या पाण्डव छिपकर जंगलों में नहीं रहे थे ?
(३) क्या अर्जुन ने स्वयं को बचाने के लिए स्त्री का रूप धारण नही
ं किया था ?
(४) क्या हजरत मौहम्मद साहब जिहाद में अपनी जान बचाने के लिए छिपकर मक्‍का छोड़कर मदीना नहीं चले गये थे ?
(५) क्या छत्रपति शिवाजी कायर थे, जो औरंगजेब की कैद से मिठाई की टोकरी में छिपकर निकले थे ?
(६) क्या चन्द्रशेखर आजाद और भगतसिंह समय-समय पर भूमिगत नहीं हुये थे ?
(७) क्या चे गोवेरा तथा मार्शल टीटो जैसे विश्‍व के महान क्रान्तिकारी अपनी जिन्दगी में अनेक बार भूमिगत नही हुये थे?
 

क्या उपरोक्‍त सभी महान क्रान्तिकारी कायर थे ?
यह सभी क्रान्तिकारी बहुत साहसी थे और वे केवल अपने उद्देश्यों के लिये भूमिगत हुए थे । जबकि नेताजी इन क्रान्तिकारियों के गुरू भी हैं तथा नेताजी की लड़ाई तो पूरे विश्‍व में "साम्राज्यवाद" के खिलाफ है । इसलिये नेताजी किसी भय से नहीं अपितु अपने महान उद्देश्य को पूरा करने के लिये भूमिगत हुए है ।



 वे कब प्रकट होंगे इस प्रश्न का समुचित उत्तर नेताजी के अनुसार तृतीय विश्‍व युद्ध की चरम सीमा पर प्रकट होना है । जैसा कि उन्होंने १९ दिसम्बर सन्‌ १९४५ को मन्चूरिया रेडियों से अपने अन्तिम सन्देश में कहा था । नेताजी जानते थे कि द्वितीय विश्‍वयुद्ध के बाद भी एक और महायुद्ध अवश्य होगा, जिसकी सम्भावना उन्होंने २६ जून सन्‌ १९४५ को आजाद हिन्द रेडियो (सिंगापुर) से प्रसारित अपने एक भाषण में व्यक्‍त कर दी थी । धीरे-धीरे संसार तृतीय महायुद्ध के निकट पहुँच रहा है । इसी महायुद्ध में भारत पुनः अखण्ड होगा तथा नेताजी का प्रकटीकरण होगा ।
भारत के धूर्त राजनीतिज्ञों से नेताजी का कोई समझौता नहीं होगा । नेताजी किसी भी व्यक्‍ति या देश के बल पर नहीं, अपनी ही शक्‍ति के बल पर प्रकट होंगे । उनके प्रकट होने से पहले उनके नेताजी होने के बारे में सन्देह के बादल छँट चुके होंगे । जैसे अर्जुन का अज्ञातवास पूरा होने पर गाण्डीव धनुष की टंकार ने पाण्डवों के होने के सन्देह के बादल छांट दिये थे ।