यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 3 अगस्त 2011

अन्थ्रोपोलोग्य

हमारे यहाँ शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजों की है क्योंकि ये इस संधि मेंलिखा है और हास्यप्रद ये है क़ि अंग्रेजों ने हमारे यहाँ एक शिक्षा व्यवस्था दी औरअपने यहाँ अलग प्रकार की शिक्षाव्यवस्था रखी है | हमारे यहाँ शिक्षा में डिग्री कामहत्व है और उनके यहाँ ठीक विपरीत है. मेरे पास ज्ञान है और मैं कोई अविष्कार
करती हूँ तो भारत में पूछा जायेगा क़ि तुम्हारे पास कौन सी डिग्री है ? यदि नहीं है तोमेरे अविष्कार और ज्ञान का कोई महत्व नहीं है. इसके विपरीत उनके यहाँ ऐसा कदापिनहीं है आप यदि कोई अविष्कार करते हैं और आपके पास ज्ञान है परन्तु कोई डिग्री नहींहैं तो कोई बात नहीं आपको प्रोत्साहित किया जायेगा. नोबेल पुरस्कार पाने के लिएआपको डिग्री की आवश्यकता नहीं होती है. हमारे शिक्षा तंत्र को अंग्रेजों ने डिग्रीमें बांध दिया था जो आज भी वैसे के वैसा ही चल रहा है. ये जो 30 नंबर का पासमार्क्स आप देखते हैं वो उसी शिक्षा व्यवस्था की देन है, अर्थात आप भले ही 70 नंबरमें फेल है परन्तु 30 नंबर लाये है तो पास हैं, ऐसे शिक्षा तंत्र से क्या उत्पन्न हो रहे हैं वो सब आपके सामने ही है और यही अंग्रेज चाहते थे. आप देखते होंगे क़ि हमारे देश में एक विषय चलता है जिसका नाम है अन्थ्रोपोलोग्य.| जानते है इसमें क्यापढाया जाता है ? इसमें दास लोगों क़ि मानसिक अवस्था के बारे में पढाया जाता है और ये अंग्रेजों ने ही इस देश में प्रारंभ किया था और आज स्वतंत्रता के 64 वर्षों केपश्चात भी ये इस देश के विश्वविद्यालयों में पढाया जाता है और यहाँ तक क़ि सिविलसर्विस की परीक्षा में भी ये चलता है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें