केबिनेट मिशन प्लान के १९४६ को सब दलों द्वारा स्वीकार कर लेने के पश्चात् जुलाई १९४६ में संविधान सभा का चुनाव हुआ जिसमे मुस्लिम लीग को ७२ सीटें प्राप्त हुई, कांग्रेस को १९९ तथा अन्य १३ सदस्यों का समर्थन प्राप्त था जिस से उनकी संख्या २१२ थी तथा अन्य १६ थे

चुनाव के पश्चात पंडित जंवाहर लाल नेहरु ने ये बयान दिया कि केबिनेट मिशन प्लान १९४६ की शर्तो को बदल देंगे, जिसके कारण मुस्लिम लीग उसके नेता मोहम्मद अली जिन्ना बिदक गए तथा केबिनेट मिशन प्लान १९४६ को दी गयी अपनी स्वीकृति को वापस ले लिया और बंटवारे की अपनी पुराणी मांग को दोहराना शुरू कर दिया

अपनी मांग को मनवाने के लिए मुस्लिम लीग ने अपनी " सीधी कार्यवाही योजना" की घोषणा कर दी , जो दुर्भाग्य से मार काट, आगजनी की योजना थी