मार्च १९४६ को ब्रिटिश प्रधानमंत्री लार्ड एटली ने अपने मंत्रिमंडल के तीन मंत्रियो को भारत में भेजा था कि वे भारत के राजनेतिक नेताओ, गणमान्य नागरिको और देशी रियासतों के प्रमुखों से विचार के बाद आम सहमति से सत्ताहस्तांतरण की एक योजना बना कर उसे क्रियान्वित करें तथा भारत के लोगो को सत्ता हस्तांतरित कर दे
इस दल को केबिनेट मिशन १९४६ के नाम से जाना जाता है
इस केबेनेट मिशन ने अपनी एक योजना का एलान किया जिसे भारत के तत्कालीन सभी दलों ने स्वीकार किया जिसकी अनेक शर्तो में से निम्न मूलभूत शर्तें थी -
- भारत का बंटवारा नहीं होगा, भारत का ढांचा संघीय होगा , १६ जुलाई १९४७ को सत्ताहस्तान्त्रित होगा,
जिसके पहले संघीय भारत( united इंडिया) का एक संविधान बना लिया जाएगा, जिसके तहत आज़ादी के उपरान्त भारत का शासन प्रबंध होगा
२- संविधान लिखने के लिए ३८९ सदस्यों के "संविधान सभा" का गठन किया जाएगा, जिसमे ८९ सदस्य देशी रियासतों के प्रमुखों द्ववारा मनोनीत किये जायेंगे तथा अन्य ३०० सदस्यों का चुनाव ब्रिटिश शासित प्रान्तों की विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया जाएगा ( इन ब्रिटिश शासित प्रान्तों की विधानसभा के सदस्यों का चुनाव, भारत सरकार अधिनियम १९३५ के तहत सिमित मताधिकार से , मात्र १५% नागरिको द्वारा वर्ष १९४५ में किया गया था जिसमे ८५% नागरिको को मतदान के अधिकार से वंचित रखा गया )
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