यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

महानरेगा , विद्यालयों में पोषाहार, निशुल्क शिक्षा , निशुल्क दवाई क्या कोई आपसी सम्बन्ध है इनमे ? इसके पीछे का राज क्या ?

महानरेगा गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया की एक ऐसी योजना जिसने गरीबी को ख़तम नहीं किया वरना गरीबो को आगे बढने से रोक दिया है उनकी सोचने की क्षमता का हनन बड़ी सफाई से कर लिया है , गरीबी को ख़तम कर देंगे तो ये चुनावी मुद्दा कहीं नेपथ्य में गुम हो जाएगा | वर्षा आधारित कृषि प्रधान देश में कृषि तकनीको को प्रोत्साहन देने के बजाये कृषको से ईंट, चुना, सीमेंट , बजरी लगवाया जा रहा है , जहाँ इस देश के आदमी की सोच ये बन गयी है कि सुबह की रोटी मिल जाए और रात की दाल बस बहुत है , और दूसरी और विद्यालयों में दोपहर का भोजन बच्चो को मिल ही जाता है , शिक्षा मुफ्त है , दवाई मिल ही जाती है तो अब काहे को कीच-कीच करें , महानरेगा के रूप में रोटी और दाल का पैसा तो मिल ही जाता है बाकी गवर्नमेंट ऑफ़ इण्डिया  मुफ्त दे रही है |
एक आदमी जो अपनी कुशलता को निखार कर विभिन्न कमाई के माध्यमो से  २५० से ५०० रूपये रोज कमा सकता है वो सरकार के रोजगार गारंटी योजना के जाल में उलझ कर रह गया है अपनी क्षमता को पहचानना उसने ख़तम कर दिया है , अरे भाई ये गवर्नमेंट ऑफ़ इण्डिया इतनी ही सुधि होती जितना वो प्रदर्शित करना चाह रही है तो गरीबी का ये चुनावी मुद्दा कब का ख़तम हो गया होता | गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया  इतनी ही हितेषी  होती तो विभिन्न घरेलू और कुटीर उद्योगों को ज्यादा प्रोत्साहन देती | अकुशल , अर्धकुशल कामगारों को कुशल कामगारों में परिवर्तन करें इस प्रकार की योजनाये लाती | (कुछ योजनाये चलती है इस बाबत मगर उसका लाभ , लाभार्थी होने वाले व्यक्ति तक कितना पहुँचता है आप सब को पता है , और वास्तविकता लोग जान नहीं पाए तो उसको छुपाने के लिए भी ये योजनाये जरुरी है ) अब महानरेगा योजना के कारण अकुशल, अर्धकुशल, कुशल सब एक है | अगर गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया वास्तव में कुछ इस देश के लिए करना चाहती तो आज इस गवर्नमेंट ऑफ़ इण्डिया को स्थापित हुए १६० वर्षो से अधिक का समय हो चूका है और इन वर्षो में उसने सिर्फ इस देश की सम्पदा, संस्कृति और जनता को लुटने का खेल रचा है वो भी इस प्रकार कि कोई सोच ना सके और जब तक सोचने का समय आये सोचने वाले की  उम्र पूरी हो जाए | मगर गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया ये नहीं चाहती , इसका उद्देश्य और धेय सिर्फ इतना है कि किस प्रकार इस देश की जनता को मुर्ख बना कर इस पर सतत शासन किया जाए पहले गोरे थे अब अब उनके एजेंट है , मालिक तो कहीं और बैठा है और इस प्रकार की नीतियों का निर्धारण और योजनाओं का विकास कर रहा है कि इस देश कि जनता सिर्फ महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी जैसे मुद्दों की उपरी सतह पर ही हो हल्ला करती रहे और वास्तविकता को कभी जान ना पाए |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें