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गुरुवार, 13 सितंबर 2012

क्या सुभाष मर गया है ? Is Subhash No More?

यहाँ में एक बात आप सब से कहना चाहूँगा ........ ये सर्वविदित सत्य है कि प्लेन क्रेश जैसा की कहा जाता है कभी हुआ ही नहीं था ..... और सभी नेताजी को प्यार करने वाले इस बात को जानते है और जो बाकी लोग नहीं जानते थे वो अनुज धर की किताब पढ़ कर समझ जायेंगे और काफी लोग पढ़ कर इस सच्चाई को जान चुके है, इस बात के लिए अनुज धर बधाई के पात्र है!
अब प्रश्न ये है कि उस समय १९४६ में गांधी जी ने अपनी "अंतरात्मा की आवाज़ पर" कहा कि मुझे लगता है सुभाष मरा नहीं है वो जीवित है (वैसे उनके पास प्रमाण था कि वो जीवित है, मगर सार्वजनिक नहीं हुआ था , अनुज धर ने उस से सम्बंधित डोकुमेंट (वो प्रमाण नहीं जो गाँधी जी के पास था) प्रयासों से प्राप्त किया, उस समय जब गांधी जी ने ये बात कही तो काफी लोगो को विश्वाश हुआ और काफी लोगो को नहीं भी हुआ और जिनको विश्वाश नहीं हुआ वो प्रमाणों की मांग करने लगे, उस समय के कुछ लोग जो आज जीवित है या जिन्होंने अपने पुरखो से ये बात सुनी है कि गांधी जी ने एक बार कहा था कि सुभाष जीवित है मगर हम बिना प्रमाण के उनकी बात कभी नहीं मानी , वो आज शायद अनुज धर की रिसर्च पढ़ कर विश्वाश करने लगे होंगे , बात उनको पता थी कि किसी ने कहाँ था कि नेताजी जीवित थे १९४६ तक, मगर उस बात पर विश्वाश उनको अनुजधर की रिसर्च पढ़ कर हुआ ......... अब देखा आपने काफी समय लग गया उनको विश्वाश दिलाने में की नेताजी जीवित थे उस समय तक या कोई विमान दुर्घटना नहीं हुई थी, 

वैसे ही आज भी कुछ लोग बोल रहे है कि "सुभाष आज भी जीवित है!" मगर वो कुछ लोग इन गुलाम साहित्यकारों के महिमा मंडित किये हुए गांधी, नेहरु नहीं है तो बात को हलके में लिया जाता है और ये स्वाभाविक है एक साधारण मानव के लिए इसमें उसका दोष नहीं. वो भी प्रमाण मांगते है कि बताओ कहाँ है वो ? सामने क्यू नहीं आते ? डरते है क्या ? उनको किसी का क्या डर? अगर जिन्दा है तो काफी वृद्ध हो गए होंगे ? इतनी उम्र तक कोई इंसान कैसे जिन्दा हो सकता है ?
ये प्रश्न जायज है एक साधारण मानव के लिए, अब रही बात प्रमाणों कि तो जब गांधी ने १९४६ में जो बात कही उसकी प्रमाणिकता जनता के सामने सिद्ध करने में इतना समय लगा तो आप लोग थोडा इंतज़ार और क्यू नहीं करते ? प्रमाण भी मिलेंगे ,हर बात का एक निश्चित समय निर्धारित है और समय आने पर इन सभी सवालो के जवाब भी मिलेंगे!
इसलिए मेरा आप सब से अनुरोध है कि समय का इंतज़ार कीजिये 
 
 (यहाँ मेरी बात कहने में मैंने गांधी का उद्धरण इसलिए लिया है कि हमारे गुलाम देश के गुलाम साहित्यकारों ने "कुछ लोगो" को इतना महिमा मंडित कर दिया है कि अगर वो प्रकुति के नियम विरुद्ध भी कुछ बात बोल दे तो उसको प्रमाणिक मानते है)

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